2. सर्वहारा क्रांति की प्रकृति

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प्रत्‍येक सामाजिक क्रांति वह कार्यवाही है जिसके जरिये नये पैदावारी सम्‍बन्‍धों का वाहक वर्ग समाज पर अपना राजनैतिक प्रभुत्‍व कायम करता है। मज़दूर क्रांति भी इस परिभाषा से नहीं बचती, लेकिन उसके हालात और उसकी अन्‍तरवस्‍तु पुरानी क्रांतियों से मौलिक रूप से भिन्‍न  हैं।

क्‍यों‍कि पहले के सारे इन्‍कलाब अभाव पर आधारित दो पैदावारी प्रणालियों के बीच में टिके थे, उन्‍होंने सिर्फ एक शोषक वर्ग के प्रभुत्‍व को दूसरे शोषक वर्ग के प्रभुत्‍व से बदला। यह सच्‍चाई एक तरह की निज़ी सम्‍पति को दूसरे तरह की निज़ी सम्‍पति से, एक तरह के विशेषाधिकारों को दूसरी तरह के विशेषाधिकारों से बदलने से प्रकट होती थी। इसके उल्‍ट, मज़दूर क्रांति का लक्ष्‍य अभाव पर आधारित पैदावारी सम्‍बन्‍धों को बहुतायत पर आधारित सम्‍बन्‍धों से बदलना है। इसीलिए इसका अर्थ सभी तरह की व्‍यकितगत सम्‍पति, सभी विशेषाधिकारों और शोषण का अन्‍त है। ये अन्‍तर मज़दूर  क्रांति को निम्‍न खासियतें प्रदान करते हैं, और मज़दूर  वर्ग को अपने इन्‍कलाब की सफलता के लिए इन्‍हें समझना होगा।

(क)   यह विश्‍वव्‍यापी चरित्र का पहला इन्‍कलाब है, सभी देशो में फैले बिना वह अपने लक्ष्‍य हासिल नहीं कर सकता। क्योंकि व्‍यक्तिगत सम्‍पति को मिटाने के लिए, सर्वहारा को उसकी समस्‍त भागीय, क्षेत्रीय और राष्‍ट्रीय अभिव्‍यक्तियों को मिटाना होगा। पूँजीवादी प्रभुत्‍व के विश्‍वव्‍यापी फैलाव ने इसे एक साथ आवश्‍यक और संभव बना दिया है।

(ख)   इतिहास में पहली बार क्रांतिकारी वर्ग पुरानी व्‍यवस्‍था का शोषित वर्ग भी है, इसलिए वह राजनीतिक ताकत जीतने की प्रक्रिया में किसी आर्थिक ताकत का सहारा नहीं ले सकता। मामला बिल्‍कुल उल्‍ट है: पुराने वाक्‍यात के विपरीत, सर्वहारा द्वारा राजनीतिक ताकत का अधिग्रहण अव्श्यक्तः उस संक्रमण काल से पहले आता है जिसमें पुराने पैदावारी रिश्‍तों का दबदबा खत्‍म कर दिया जाता है और वह नये सामाजिक सम्‍बन्‍धों को स्‍थान देता है।

(ग)   इस सच्‍चाई का, कि समाज में पहली बार एक वर्ग इन्‍कलाबी भी है और शोषित भी, अर्थ यह भी है कि शोषित वर्ग के रूप में, उसका संघर्ष किसी भी बिन्‍दु पर क्रांतिकारी वर्ग के रूप में उसके संघर्ष से अलग या उसके खिलाफ नहीं रखा जा सकता। जैसे मार्क्‍सवाद ने आरम्‍भ से ही प्रदोंवाद और अन्‍य निम्‍न पूँजीवादी सिद्धांतों के खिलाफ दावे से कहा है, सर्वहारा के क्रांतिकारी संघर्ष का विकास शोषित वर्ग के रूप में उसके संघर्ष के गहराने और व्‍यापीकरण से ही तय होता है।