1. कम्‍युनिस्‍ट क्रांति का सिद्धांत

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मार्क्‍सवाद सर्वहारा संघर्ष की मूलभूत सैद्धांतिक प्राप्ति है। सिर्फ मार्क्‍सवाद के आधार पर ही सर्वहारा संघर्ष के सभी सबक एक सुसंगत इकाई में जोड़े जा सकते हैं।

वर्ग संघर्ष, यानि पैदावारी ताकतों के विकास से तय ढ़ॉंचे में आर्थिक हितों पर आधारित संघर्ष, के विकास द्वारा इतिहास के विकास की व्‍याख्‍या करता तथा मज़दूर  वर्ग को पूँजीवाद का नाश करती क्रांति का कर्ता मानता, मार्क्‍सवाद ही वह एक मात्र विश्‍वदृ‍ष्‍टिकोण है जो मज़दूर  वर्ग के नज़रिये को प्रकट करता है। इस तरह विश्‍व के बारे में निराकार अटकलबाजी होने के बजाय, वह सर्वप्रथम मज़दूर  वर्ग के लिए संघर्ष का ‍हथियार है। क्‍योंकि मज़दूर  वर्ग ही वह पहला और एक मात्र वर्ग है जिसकी मुक्ति सारी मानवता की मुक्ति है, तथा समाज पर जिसका दबदबा शोषण के एक नये रूप को जन्‍म देने की बजाय समस्‍त शोषण को खत्‍म करेगा, इसलिए सिर्फ मार्क्‍सवाद ही सामाजिक वास्‍तविकता को सभी प्रकार के पूर्वाग्रहों और रहस्‍यों-भ्रमों से बेलाग होकर वस्‍तुगत और वैज्ञानिक रूप से समझने के काबिल है।

नतीजन, यद्यपि वह एक स्थिर सिद्धांत नहीं ब‍‍‍ल्‍कि वर्ग संघर्ष के साथ सीधे और जीवन्‍त सम्‍बन्‍ध में लगातार विकसित और स्‍पष्‍ट होता है, तथा यद्यपि इसने मज़दूर  संघर्ष की अपने से पहले की सैद्धांतिक प्राप्तियों से लाभ उठाया, अपने शुरू काल से मार्क्‍सवाद ही वह एक मात्र ढ़ॉंचा है जिससे और जिसके अन्‍दर ही क्रांतिकारी सिद्धांत विकसित हो सकता है।