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15. सर्वहारा की तानाशाही

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मज़दूर वर्ग द्वारा विश्‍व स्‍तर पर राजनैतिक ताकत छीनने, पूँजीवादी समाज के क्रांतिकारी रूपान्‍तरण की पहली स्‍टेज और प्राथमिक शर्त, का सर्व प्रथम अर्थ है ''बुर्जआ राज्‍य ढाँचे का पूर्ण विध्‍वंस।''

पूँजीपति वर्ग चूंकि अपने राज्‍य के जरिये ही समाज पर अपने प्रभुत्‍व, अपने विशेषाधिकारों, दूसरे वर्गों और खासकर मज़दूर वर्ग के शोषण को बनाये रखता है, यह तंत्र आवश्‍यक रूप से इस कार्य के अनुकूल बन रखा है, और मज़दूर वर्ग, जिसके पास बचाव के लिए कोई विशेषाधिकार या शोषण नहीं, उसका उपयोग नहीं कर सकता। दूसरे शब्‍दों में, ''समाजवाद की ओर कोई शांतिपूर्ण रास्‍ता नहीं": शोषकों के अल्‍पमत द्वारा खुले अथवा पाखंडी तरीके से लेकिन हर हालत में बुर्जुआजी द्वारा ‍अधिकाधिक योजनाबद्ध तरीके से काम में लायी गयी हिंसा के खिलाफ मज़दूर वर्ग सिर्फ अपनी क्रांतिकारी वर्ग हिंसा को ही आगे रख सकता है।

समाज के आर्थिक रूपांतरण के लीवर के रूप में, सर्वहारा की तानाशाही (यानी मज़दूर  वर्ग द्वारा राजनीतिक ताकत का एकांतिक प्रयोग) का बुनियादी कार्य होगा पैदावारी साधनों का समाजीकरण करके शोषकों का सम्‍पतिहरण करना तथा इस समाजीकृत सेक्‍टर को सभी पैदावारी गतिविधियों तक उत्तरोत्तर बढ़ाना। अपनी राजनीतिक ताकत के आधार पर सर्वहारा को उजरती श्रम और माल उत्‍पादन के खात्‍मे तथा मानव जाति की जरूरतों की पूर्ति की ओर ले जाती आर्थिक नीतियाँ लागू करके पूँजी‍पतियों के राजनीतिक अर्थशास्‍त्र पर चोट करनी होगी।

पूँजीवाद से कम्‍युनिज्‍म में संक्रमण के इस युग में मज़दूर वर्ग के अलावा दूसरे गैर-शोषित वर्ग, जिनका अस्तित्‍व अर्थव्‍यवस्‍था के गैर समाजीकृत सेक्‍टर पर निर्भर है, अभी अस्तित्‍व में रहेंगे। इसलिए समाज में विरोधी आर्थिक हितों की अभिव्‍य‍क्ति के रूप में वर्ग संघर्ष भी अभी अस्तित्‍व में रहगा। यह ऐसे राज्‍य को पैदा करेगा जिसका कार्य होगा इन संघर्षों द्वारा स्‍वयं समाज को विघटन की ओर ले जाने से रोकना। परन्‍तु उनके सदस्‍यों के समाजीकृत सेक्‍टर में संयोजन के जरिये इन सामाजिक वर्गों के उत्तरोत्तर लोप तथा वर्गों के अंतिम उन्‍मूलन से, खुद राज्‍य को लुप्‍त होना होगा।

सर्वहारा की तानाशाही का ऐतिहासिक रूप से खोज निकाला गया रूप है मज़दूर कौंसिलें - चुने और प्रतिसंहार्य प्रतिनिधियों पर आधारित एकीकृत, केन्‍द्रीकृत एवं वर्ग व्‍यापी सभाऍं जो पूरे वर्ग को सच्‍चे सामूहिक रूप से सत्ता प्रयोग करने योग्‍य बनाती है। मज़दूर  वर्ग की एकांतिक राजनीतिक ताकत की गारंटी के रूप में ‍हथियारों के कन्‍ट्रोल पर इन कौंसिलों का एकाधिकार होगा।

समूचे समाज के कम्‍युनिस्‍ट रूपांतरण को हाथ में लेने के उद्देश्‍य से मज़दूर वर्ग समूचे तौर पर ही केवल सत्ता संभाल सकता है। इसलिए पहले के क्रांतिकारी वर्गों के विप‍रीत सर्वहारा किसी संस्‍था अथवा अल्‍पांश को, क्रांतिकारी अल्‍पांश सहित, सत्ता नहीं सौंप सकता। क्रांतिकारी अल्‍पांश कौंसिलों के भीतर काम करेगा, लेकिन उसका संगठन मज़दूर वर्ग के ऐतिहासिक ध्‍येय की प्राप्ति के लिए उसके एकीकृत वर्ग संगठन का स्‍थान नहीं ले सकता।

इसी तरह, रूसी इन्‍कलाब के अनुभव ने संक्रमण काल में वर्ग और राज्‍य के सम्‍बन्‍ध की समस्‍या की पेचीदगी तथा गंभीरता को प्रकट किया। आनेवाले समय में सर्वहारा और क्रांतिकारी इस समस्‍या को नहीं टाल सकते, बल्कि उन्‍हें इसे हल करने का हर प्रयास करना होगा।

सर्वहारा की तानाशाही का अर्थ है इस धारणा का पूर्ण त्याग कि मज़दूर वर्ग को अपने आपको किसी बाहरी ताकत के अधीनस्‍थ कर लेना चाहिए और इसका अर्थ है वर्ग के भीतर हिंसा के सभी सम्‍बन्‍धों को खारिज़ करना। संक्रमण काल के दौरान सिर्फ सर्वहारा ही समाज में क्रांतिकारी वर्ग है: उसकी चेतना और सम्‍बद्धता ही इस बात की मूलभूत गारंटियाँ है कि उसकी तानाशाही का फल कम्‍युनिज्‍म होगा।

 

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