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12. आंशिक संघर्ष: एक प्रतिक्रियावादी अन्‍धीगली

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पूँजीवाद की पतनशीलता ने पूँजीवाद के सभी नैतिक मूल्‍यों के सड़न को प्रबल बना दिया है और वह सभी मानवीय रिश्‍तों को गहरी अधोगति की ओर ले गया है ।

बेशक यह सच है कि सर्वहारा क्रांति जीवन के हर क्षेत्र में नये रिश्‍तों को जन्‍म देगी, लेकिन यह सोचना गलत है कि जातिवाद, औरतों की स्थिति, प्रदूषण, लैंगिकता और दैनिक जीवन के अन्‍य पहलुओं जैसी आंशिक समस्‍याओं के गिर्द संघर्ष संगठित करके क्रांति में योगदान देना संभव है।

पूँजीवाद के आर्थिक आधारों के खिलाफ संघर्ष पूँजीवादी समाज के ऊपरी ढाँचे सम्‍बन्‍धी सभी पहलुओं के खिलाफ संघर्ष को अपने में समेटे है, लेकिन इसके विपरीत सच नहीं। अपनी अन्‍तरवस्‍तु के चलते आंशिक लड़ाईयॉं सर्वहारा की अत्‍यावश्‍यक स्‍वायत्तता को सुदृढ़ बनाना तो दूर्, इसके विपरीत वे सर्वहारा को ऐसी उलझी हुई श्रेणियों (जाति, सेक्‍स, युवजन आदि) के पुंज में क्षीण करने की ओर ले जाती हैं जो इतिहास के समक्ष पूर्णत: नि:सहाय ही हो सकता है। इसलिए बुर्जुआ सरकारों और राजनीतिक पार्टियों ने उन्‍हें अपने में मिलाना और व्‍यवस्‍था को बनाये रखने के लिए लाभदायक ढंग से प्रयोग करना सीख लिया है।

 

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