नर संहार मुर्दाबाद,किसी भी साम्राज्यवादी खेमे को समर्थन नहीं! शांतिवाद एक भ्रमजाल! सर्वहारा अंतर्राष्ट्रीयतावाद जिन्दाबाद!!

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मध्यपूर्व में हालिया साम्राज्यवादी खून-खराबा, 1917 के पश्चात, एक सदी से भी अधिक समय से विश्व पूँजीवाद की विशेषता रहे, लगभग स्थायी युद्ध, नवीनतम कड़ी है.     

करोड़ों रक्षाहीन नागरिकों का कत्लेआम, जाति संहार, शहरों का विध्वंश, यहाँ तक पूरे देश को मलबे में बदल डालना, आने वाले काल में और अधिक और बदतर अत्याचारों के वादे के  अलावा कुछ नहीं है.

वर्तमान नर संहार के लिए विभिन्न प्रतिद्वंदी बड़ी या छोटी साम्राज्यवादी शक्तियों द्वारा  प्रस्तावित औचत्य या ‘समाधान’, एक राष्ट्रीय पूंजीपति वर्ग दूसरे के विरुद्ध, इससे पहले के सभी खून-खराबे की भांति, शोषित, मजदूर वर्ग को शांत करने के लिए, इन्हें बांटने और उनके बीच के भाईचारे की हत्या के लिए तैयार करना,एक बड़े धोखे के समान है.      

आज इजराइल और गाज़ा निवासियों पर आग और इस्पात की वर्षा हो रही है. एक ओर हमास, इयसे छलनी कर डाले, तमाम लोग बंधक बना लिए गए हैं. हजारों लोग पहले ही मारे जा चुके हैं.  

पूरी दुनिया में, पूंजीपति वर्ग हमें, इजराइली उत्पीड़न के खिलाफ, फिलिस्तीनी प्रतिरोध के लिए, अथवा फ़िलिस्तीनी आतंकवाद पर इज़राइली प्रतिक्रिया के लिए, अपना- अपना पक्ष चुनने के लिए बुला रहा है. या फ़िलिस्तीनी आतंकवाद, प्रत्येक युद्ध को उचित ठहराने के लिए दूसरे की बर्बरता की निंदा करता है. इज़राइली राज्य, दशकों से नाकाबंदी, उत्पीड़न, चौकियोंसे से घेराबंदी और अपमान के साथ फ़िलिस्तीनी लोगों पर अत्याचार कर रहा है. फ़िलिस्तीनी संगठन,चाकू व बमबारी से निर्दोष लोगों की हत्या कर  रहा है. प्रत्येक पक्ष, दूसरे का खून बहाने का आह्वान कर रहा है.

यह घातक तर्क ही साम्राज्यवादी युद्ध का तर्क है! यह हमारे शोषक और उनके राज्य हैं जो हमेशा अपने हितों की रक्षा के लिए निर्दयी युद्ध लड़ते रहते हैं. और यह हम हैं, मजदूर वर्ग, शोषित वर्ग, जो हमेशा अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकाते हैं.

हम सर्वहाराओं के लिए चुनने के लिए कोई पक्ष नहीं है, हमारी कोई मातृभूमि नहीं है, रक्षा के लिए कोई राष्ट्र नहीं है! सीमा के दोनों ओर  हम एक ही वर्ग के हैं!  न इजराइल, न फ़िलिस्तीन!

केवल एकजुट अंतर्राष्ट्रीय सर्वहारा वर्ग ही इन बढ़ते नरसंहारों और उनके पीछे छिपे साम्राज्यवादी हितों को ख़त्म कर सकता है. ज़िम्मरवाल्ड में वामपंथ के मुट्ठी भर कम्युनिस्टों द्वारा तैयार किया गया यह अनोखा, अंतर्राष्ट्रीयवादी समाधान अक्टूबर 1917 में रूस में अपनाया. जब क्रांतिकारी मजदूर वर्ग के संघर्ष ने पूंजीवादी शासन को उखाड़ फेंका और अपनी राजनीतिक वर्ग शक्ति स्थापित कर  अपने उदाहरण से अक्टूबर ने एक व्यापक, अंतर्राष्ट्रीय क्रांतिकारी आंदोलन को प्रेरित किया जिसने प्रथम विश्व युद्ध को समाप्त करने के लिए मजबूर किया.

 कम्युनिस्ट वामपंथ  ही वह एकमात्र राजनीतिक धारा जो इस क्रांतिकारी लहर की हार से बच गई है और जिसने अंतर्राष्ट्रीयतावादी सिद्धांत की क्रांतिकारी रक्षा को बनाए रखा है, तीस के दशक में, इसने स्पेनिश युद्ध और चीन-जापानी युद्ध के दौरान इस मौलिक श्रमिक वर्ग लाइन को संरक्षित किया, जबकि स्टालिनवादियों, ट्रॉट्स्कीवादियों या अराजकतावादियों जैसी अन्य राजनीतिक धाराओ ने अपने साम्राज्यवादी शिविर को चुना जिसने इन संघर्षों को और भडकाया जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के  दौरान कम्युनिस्ट वामपंथ ने अपना अंतर्राष्ट्रीयवाद बनाए रखा, जबकि इन अन्य धाराओं ने साम्राज्यवादी नरसंहार में भाग लिया, जिसे 'फासीवाद और फासीवाद-विरोध' और 'सोवियत' संघ की रक्षा के बीच लड़ाई के रूप में तैयार किया गया था.

आज कम्युनिस्ट वामपंथ की अल्प संगठित उग्रवादी ताकतें अभी भी इस अंतर्राष्ट्रीयतावादी कट्टरपन का पालन कर रही हैं, लेकिन उनके अल्प संसाधन कई अलग-अलग समूहों में विखंडन और परस्पर शत्रुतापूर्ण, सांप्रदायिक भावना के कारण और भी कमजोर हो गए हैं.

इसीलिए, साम्राज्यवादी बर्बरता में बढ़ती गिरावट के सामने, इन असमान ताकतों को सभी साम्राज्यवादी शक्तियों के खिलाफ, शोषकों के पीछे राष्ट्रीय रक्षा के आह्वान के खिलाफ, 'शांति' के लिए पाखंडी दलीलों के खिलाफ और सर्वहारा वर्ग के संघर्ष, जो साम्यवादी क्रांति की ओर ले जाता है,  के लिए  एक आम घोषणा करनी होगी.

दुनियाभर के मजदूरों एक हो.

अंतर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट करंट.

अंतर्राष्ट्रीय वॉईस.

 

 यह अपील क्यों?

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के पश्चात्, सिर्फ 20 महीने से पहले, आईसीसी द्वारा कम्युनिष्ट     वामपंथी गुटों के लिए एक साझा बयान का प्रस्ताव किया था, जिन गुटों ने आईसीसी के अलावा, इस्टिटुटो ओनोराटो डेमन, इंटरनेशनलिस्ट वॉयस, इंटरनेशनल कम्युनिस्ट परस्पेक्टिव   (दक्षिण कोरिया) ने बाद में कम्युनिष्ट वामपंथ गुटों ने दो चर्चा बुलेटिन तैयार किये हैं, उनके संबंधित पदों और पर बहस की गई है, और आमतौर पर सार्वजनिक सभाएं आयोजित की गयी हैं.

हालांकि, अन्य कम्युनिष्ट वामपंथी गुटों के इस प्रस्तावित बयान के अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांतों से सहमत होते हुए भी, इस पर हस्ताक्षर करने से इंकार पर दिया ( या बिलकुल भी उत्तर नहीं दिया ). आमतौर पर इस सिद्धांत का बचाव करने की अधिक आवश्यकता को देखते हुए, आज हम इन गुटों  से (नीचे सूचीबद्ध) इस अपील पर पुनर्विचार करने और हस्ताक्षर करने का आग्रह करते हैं.  यूक्रेन पर आम बयान पर, हस्ताक्षर करने खिलाफ एक तर्क यह था कि गुटों के बीच, इसकी अनुमति देने के लिए अन्य मतभेद बहुत अधिक थे और जिनसे इंकार नहीं किया जा सकता है, चाहे वे विश्लेषण, सैद्धांतिक प्रश्न, राजनैतिक दल की अवधारणा, यहाँ तक कि लड़ाकुओं की सदयस्ता की शर्तों से जुड़े सवाल ही क्यों न हों. लेकिन सर्वहारा अंतर्राष्ट्रीयतवाद का सबसे आवश्यक बुनियादी सिद्धांत, वर्ग की क्रांतिकारी सीमा, जो क्रांतिकारी राजनैतिक सन्गठन को अलग पहचान देती है, कहीं अधिक महत्वपूर्ण है. और इस प्रश्न पर एक आम बयान पर यह अर्थ नहीं कि अन्य मतभेदों को भुला दिया गया है. इसके  विपरीत चर्चा बुलेटिन यह दर्शाते हैं कि उन पर बहस के लिए एक मंच संभव और आवश्यक है.

एक और अन्य तर्क यह था कि मजदूर वर्ग में अंन्तर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष से अधिक व्यावहारिक आवश्यकता थी, जो केवल कम्युनिष्ट वामपंथ तक सीमित अपील से अधिक व्यापक था. नि:संदेह, सभी अन्तर्राष्ट्रीय लड़ाके कम्युनिष्ट संगठन  मजदूर वर्ग में अधिक प्रभाव चाहते हैं लेकिन यदि कम्युनिष्ट वामपंथ अन्तर्राष्ट्रीय संगठन, साम्राज्यवादी संघर्ष के महत्वपूर्ण क्षणों में व्यवहारिक रूप से अपने मूल सिद्धांत पर एक साथ काम करने में भी संक्षम नहीं हैं तो उनसे सर्वहारा के व्यापक वर्गों द्वारा गंभीरता से लिए जाने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?[1]     

वर्तमान, फिलिस्तीन-इजराइल संघर्ष, पहले के सभी से कहीं अधिक भयानक और परिवर्तनशील युद्ध, यूक्रेन में साम्राज्यवादी युद्ध के दोबारा उभरने के दो साल से भी कम समय के बाद उभर रहा है तथा कई अन्य साम्राज्यवादी संघर्षों के साथ जो हाल ही में फिर से शुरू हुए हैं (सर्बिया/कोसोवो, अजरबैजान/आर्मेनियाँ, और ताइवान को ले कर अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव) का मतलब है कि एक आम अंतर्राष्ट्रीय बयान पहले से भी  अधिक दबाव डालता है.  

इसलिए, हम सीधे और सार्वजनिक रूप से निम्नलिखित गुटों से ऊपर छपे साम्रज्य्वादी युद्ध के खिलाफ बयान पर सह-हस्ताक्षर करने की इच्छा दिखाने की आकांक्षा रखते हैं जिसे यदि आवश्यक हो तो इसके सामान्य अंतर्राष्ट्रीयतावादी उद्द्येश्य के अनुसार संशोधित या पुनः तैयार किया जा सकता है.   

आईसीटी (अंतर्राष्ट्रीयवादी कम्युनिस्ट प्रवृत्ति)

पीसीआई (प्रोग्रामा कोमुनिस्टा )

पीसीआई ( इल पार्टिटो कोमुनिस्टा )

पीसीआई ( ले प्रोलेटेयर , इल कोमुनिस्टा )

आईओडी ( इस्टिट्यूटो ओनोराटो डेमन)

[1] कम्युनिस्ट वामपंथ के बाहर के अन्य समूह जो इस अपील में बचाव किए गए अंतर्राष्ट्रीयवादी पदों से सहमत हैं, वे इस अपील के लिए अपने समर्थन की घोषणा कर सकते हैं और इसे वितरित कर सकते हैं.