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28 फरवरी 2012 की अखिल भारतीय मज़दूर हड़ताल आम हड़ताल अथवा यूनियनी रस्म अदायगी?

30 March 2012

28 फरवरी 2012 को देश के विभिन्न हिस्सों में फैले दस करोड मज़दूरों की नुमाइंदगी करती यूनियनों द्वारा बुलाई हड़ताल हुई। सभी पार्टियों, यहां तक कि हिन्दूवादी बीजेपी, की यूनियनें भी हड़ताल में शामिल हुईं। इसके साथ ही हज़ारों स्थानीय तथा क्षेत्रीय यूनियनें भी। बैंक कर्मी, पोस्टल तथा राज़्य ट्रांसपोर्ट मज़दूर, टीचर्स, गोदी मज़दूर तथा अन्य क्षेत्रों के मज़दूरों ने हड़ताल में हिस्सा लिया। सभी यूनियनें का इस हड़ताल पर सहमत होना इसके पीछे मज़दूर संघर्षों का एक विकास दिखाता है। .....

अमेरिका और यूरोप के बीच विच्छेद का ऐतिहासिक महत्व

19 March 2025

अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन सार्वजनिक बैठक

शनिवार 5 अप्रैल 2025, दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक, यू के (  यूनाइटेड किंगडम) समयनुसार

अमेरिका और यूरोप के बीच हुए ब्रेक का ऐतिहासिक महत्व

अमेरिका में ट्रम्प 2.0 के आगमन के बाद से घटनाओं में तेजी जारी है।

बेल्जियम: बुर्जुआ मितव्ययिता योजनाओं के खिलाफ मजदूर लामबंद

31 January 2025

एक बार फिर, "बस, बहुत हो गया" यही भावना थी जो 13 दिसंबर 2024 और 13 जनवरी 2025 को ब्रुसेल्स में हुई कार्रवाई के दौरान व्यक्त की गई थी, जो 'मितव्ययिता योजनाओं' के खिलाफ थी, जो एक नई संघीय सरकार के गठन के लिए वार्ता की मेज पर हैं, जो अब छह महीने से चल रही है। पहले ये योजनाएँ मीडिया 'लीक' के ज़रिए उजागर होती थीं; आज ये कोई सार्वजनिक रहस्य नहीं रह गई हैं। यूनियनें "पिछले 80 सालों के सबसे कठोर उपायों" की बात करती हैं। योजनाबद्ध हमले मज़दूर वर्ग के सभी वर्गों को प्रभावित करेंगे। जबकि निजी कंपनियों में श्रमिकों को बड़े पैमाने पर नौकरी से निकाला जाएगा (2024 तक 27,000) और स्वचालित वेतन सूचकांक पर…

अमेरिका में ट्रम्प की बड़ी जीत : पूंजीवाद के विघटन की ओर एक लम्बा कदम

28 January 2025

अमेरिका में सम्पन्न हुए राष्ट्रपति चुनाव में भारी बहुमत से जीते ट्रम्प, व्हाइट हाउस में पुनः विराजमान हो गये हैं. उनके समर्थकों की द्रष्टि में वह एक अपराजेय हीरो, चुनाव में धांधली, न्यायिक जाँच पड़ताल, व्यवस्था से टकराव और गोलियों का मुकाबला तथा हर बाधा पर, पार पा लेने  की सामर्थ्य रखते हैं. ट्रम्प की एक चमत्कारी छवि, उनके कानों से बहता खून तथा गोली लगने के वाबजूद उनकी तनी हुई मुट्ठियाँ के साथ आसमान की और टकटकी लगा कर देखना, उन्हें इतिहास के पन्नों में दर्ज कराता है.

वैश्विक स्थिति को समझने और भविष्य के लिए तैयारी करने हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय बहस

17 December 2024

16 नवंबर को आईसीसी ने ‘अमेरिकी चुनावों के वैश्विक प्रभाव’ विषय पर एक ऑनलाइन सार्वजनिक बैठक आयोजित की।

आईसीसी कार्यकर्ताओं के अलावा, चार महाद्वीपों और लगभग पंद्रह देशों से कई दर्जन लोगों ने चर्चा में हिस्सा लिया। अंग्रेजी, स्पेनिश और फ्रेंच में एक साथ अनुवाद की सुविधा ने सभी को चर्चा का अनुसरण करने में सक्षम बनाया, जो लगभग तीन घंटे तक चली।

बुर्जुआ लोकतंत्र के लिए लामबंद होने के अंतर्राष्ट्रीय अभियान के खिलाफ मजदूर वर्ग से कम्युनिस्ट वामपंथ की अपील

20 October 2024

प्रावरण पत्र

इंटरनेशनल कम्युनिस्ट करंट से:

 

-इंटरनेशनलिस्ट कम्युनिस्ट टेंडेंसी  

-पीसीआई (प्रोग्रामा कोमुनिस्टा )

- पीसीआई (इल  कोमुनिस्टा )

-पीसीआई (इल पार्टिटो कोमुनिस्टा)

-इस्टिटुटो ओनोराटो डेमन इंटरनेशनलिस्ट वॉयस + इंटरनेशनलिस्ट कम्युनिस्ट पर्सपेक्टिव, कोरिया

 

30 अगस्त 2024

 

प्रिय साथियों,

विद्रोह ने एक और बुर्जुआ शासन का मार्ग प्रशस्त किया

27 September 2024

5 अगस्त 2024 को दर्जनों छात्रों ने बांग्लादेश की भगोड़ी प्रधानमंत्री शेख हसीना के आवास की छत पर तालियाँ बजाईं। वे पाँच सप्ताह तक चले संघर्ष की जीत का जश्न मना रहे थे, जिसमें 439 लोगों की जान चली गई और आखिरकार मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंका गया। लेकिन वास्तव में यह किस तरह की ‘जीत’ थी? क्या यह सर्वहारा वर्ग की जीत थी या पूंजीपति वर्ग की?

क्रांतिकारी एकजुटता और सर्वहारा सिद्धांतों की रक्षा की अपील

8 September 2024

"इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ द कम्युनिस्ट लेफ्ट" (IGCL) फिर से मुखबिरी कर रहा है।

अपने नवीनतम बुलेटिन में, "व्यक्तिवाद के विरुद्ध और 2020 के दशक की 2.0 सर्कल भावना" शीर्षक के अंतर्गत, हम पढ़ते हैं: "... दुर्भाग्य से वीडियो मीटिंग का चलन शारीरिक मीटिंग की जगह ले रहा है। हम अलग-थलग पड़े साथियों के बीच वीडियो मीटिंग के आयोजन के खिलाफ़ नहीं हैं, खासकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, जो एक ही स्थान पर नहीं मिल सकते। दूसरी ओर, यह तथ्य कि जुझारू  अब शारीरिक मीटिंग या 'आमने-सामने' मीटिंग में भाग लेने के लिए यात्रा करने या इसे अनावश्यक मानने का प्रयास नहीं करते हैं, या इसे अनावश्यक भी नहीं मानते हैं,…

भारत चुनावों के बाद : मोदी के लिए एक संकीर्ण जनादेश और मजदूर वर्ग के लिए अधिक बलिदान

6 August 2024

भारत के संसदीय चुनाव (लोकसभा) इस साल अप्रैल से जून तक हुए। सर्वहारा वर्ग को, अन्य जगहों की तरह, इन चुनावों से कुछ भी उम्मीद नहीं थी, जिसके नतीजे से सिर्फ़ यह तय होता है कि पूंजीपति वर्ग का कौन सा हिस्सा समाज और उसके द्वारा शोषित श्रमिकों पर अपना वर्चस्व बनाए रखेगा। ये चुनाव ऐसी पृष्ठभूमि में हुए जिसमें पूंजीवाद का पतन मानवता को और अधिक अराजकता में धकेल रहा है क्योंकि इसका सामाजिक विघटन तेज़ हो रहा है, जिससे कई संकट (युद्ध, आर्थिक, सामाजिक, पारिस्थितिक, जलवायु, आदि) पैदा हो रहे हैं जो एक दूसरे से जुड़कर और मजबूत होकर  और भी विनाशकारी भंवर को हवा दे रहे हैं। भारत में, अन्य जगहों की तरह…

बांग्लादेश में कपड़ा श्रमिकों की हड़ताल - विश्वव्यापी वर्ग संघर्ष का हिस्सा

1 January 2024

23 अक्टूबर से 15 नवंबर तक, तीन सप्ताह से अधिक समय तक, बांग्लादेश में कपड़ा श्रमिक न्यूनतम वेतन दर में वृद्धि के लिए संघर्ष कर रहे थे। आखिरी बार ऐसी मांग पांच साल पहले उठी थी. इस बीच, सेक्टर के 4.4 मिलियन श्रमिकों में से कई के लिए स्थितियाँ गंभीर हो गई हैं, जो भोजन, घर के किराए, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती कीमतों से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कई कपड़ा श्रमिकों को गुजारा करना मुश्किल हो रहा था, वे यह सोचने पर मजबूर थे कि कैसे जीवित रहें। यह हड़ताल एक दशक से भी अधिक समय में बांग्लादेश में श्रमिकों का सबसे महत्वपूर्ण संघर्ष था।

इजराइल, गाजा, यूक्रेन, अजरबैजान में नरसंहार और युद्ध... पूंजीवाद मौत का बीजारोपण करता है! हम इसे कैसे रोक सकते हैं?

11 November 2023

इजराइल, गाजा, यूक्रेन, अजरबैजान में नरसंहार और युद्ध... पूंजीवाद मौत का बीजारोपण करता है! हम इसे कैसे रोक सकते हैं?

"डरावना", "नरसंहार", "आतंकवाद", "आतंक", "युद्ध अपराध", "मानवीय तबाही", " हत्या"... अंतर्राष्ट्रीय प्रेस के पहले पन्ने पर छपे ये शब्द गाजा में बर्बरता के पैमाने के बारे में बहुत कुछ बताते हैं।

नर संहार मुर्दाबाद,किसी भी साम्राज्यवादी खेमे को समर्थन नहीं! शांतिवाद एक भ्रमजाल! सर्वहारा अंतर्राष्ट्रीयतावाद जिन्दाबाद!!

23 October 2023

मध्यपूर्व में हालिया साम्राज्यवादी खून-खराबा, 1917 के पश्चात, एक सदी से भी अधिक समय से विश्व पूँजीवाद की विशेषता रहे, लगभग स्थायी युद्ध, नवीनतम कड़ी है.     

करोड़ों रक्षाहीन नागरिकों का कत्लेआम, जाति संहार, शहरों का विध्वंश, यहाँ तक पूरे देश को मलबे में बदल डालना, आने वाले काल में और अधिक और बदतर अत्याचारों के वादे के  अलावा कुछ नहीं है.

न तो इजराइल और न ही फिलिस्तीन!   मजदूर की कोई मात्रभूमि नहीं होती!! 

19 October 2023

शनिवार से, इजराइल और गाजा निवासियों के ऊपर हुई आग और स्टील की वारिश की बाढ़ आ गई है. एक ओर, हमास, दूसरी तरफ इजराइली सेना के बीच फंसे नागरिकों के ऊपर बमबारी की जा रही है, गोलिया से भूना जा रहा है, जिसमें हजारों लोग अपनी जान गँवा चुके हैं. तमाम लोग बंधक बनाये गये हैं सो अलग.

संघर्ष हमारे सामने है !

18 October 2023

बीते वर्ष, वैश्विक पूँजीवाद के प्रमुख देशों  और दुनियां भर में मजदूरों के संघर्ष फूट पड़े हैं.  हड़तालों की यह श्रंखला 2022 की गर्मियों में ब्रिटेन से शुरू हुई और तब से फ़्रांस, जर्मनी, स्पेन, नीदरलेंड, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, कोरिया तथा तमाम अन्य देशों के मजदूर संघर्ष में कूद पड़े हैं.

आईसीटी और नो वॉर बट द क्लास वॉर पहल: एक अवसरवादी धोखा जो कम्युनिस्ट वामपंथ को कमजोर करता है।

20 September 2023

इंटरनेशनलिस्ट कम्युनिस्ट टेंडेंसी ने हाल ही में नो वॉर बट द क्लास वॉर कमेटियों (एनडब्ल्यूबीसीडब्ल्यू) के साथ अपने अनुभव पर एक बयान प्रकाशित किया है, जिसे उन्होंने यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत में शुरू किया था[1]। जैसा कि वे कहते हैं, "राजनीतिक ढांचे के वास्तविक वर्ग आधार को उजागर करने के लिए साम्राज्यवादी युद्ध जैसा कुछ नहीं है, और यूक्रेन पर आक्रमण ने निश्चित रूप से ऐसा किया है", यह समझाते हुए कि स्टालिनवादियों, ट्रॉट्स्कीवादियों ने एक बार फिर दिखाया है कि वे पूँजीकी शिविर से संबंधित हैं  - चाहे यूक्रेन की स्वतंत्रता का समर्थन करके, या यूक्रेन के 'डी-नाज़ीफिकेशन' के बारे में रूसी…

पूंजीपति वर्ग अपनी व्यवस्था की विफलताओं पर पर्दा डालने की कोशिश करता है!

26 July 2023

भारत के पूर्वी प्रान्त ओड़िसा के बालासोर शहर में तीन रेल गाड़ियों के आपस में टकरा जाने के कारण हुई भीषण ट्रेन दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. 2 जून 2023 को दो यात्री ट्रेनें, कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरू – हावड़ा सुपर- फ़ास्ट, एक्स्प्रेस बह्नागा रेलवे स्टेशन के पास एक मालगाड़ी से हुई शुरूआती टक्कर आपस में टकरा गईं. दिल को दहला देने वाले इस हादसे पर भारत सरकार ने एक बयान में बताया कि टक्कर में कम से कम 280 लोगों की जानें गईं और लगभग 1000 लोग बुरी तरह घायल हुए, साथ ही सरकारी प्रवक्ता ने यह भी कहा कुछ लोगों की मौत को गुप्त रखा जायेगा. आमजन, सरकार द्वारा, तमाम अन्य मामलों के बारे में…

हमें 1968 से भी आगे जाना है!

26 May 2023

"अब बहुत हो गया है!" – ब्रिटेन.  "न एक वर्ष अधिक, न एक यूरो कम" – फ्रांस.  "आक्रोश गहरा चलता है" – स्पेन. "हम सभी के लिए" – जर्मनी. हाल के महीनों में हड़तालों के दौरान दुनिया भर में लगे ये सभी नारे दिखाते हैं कि मौजूदा मज़दूर संघर्ष हमारे रहने और काम करने की स्थिति में सामान्य गिरावट की अस्वीकृति को कितना व्यक्त करते हैं. डेनमार्क, पुर्तगाल, नीदरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, चीन में... वही बढ़ते असहनीय शोषण के खिलाफ वही प्रहार करता है."वास्तविक कठिनाई: गर्म करने में सक्षम नहीं होना, खाना, अपना ख्याल रखें, गाड़ी चलाओ !"

पूंजीवाद, मानवता को विनाश की ओर ले जाता है……. केवल सर्वहारा वर्ग की विश्व क्रांति ही, इसका अंत कर सकती है.

18 May 2023

यूरोप में, जब 130 साल पहले, पूंजीवादी शक्तियों के बीच तनाव बढ़ रहा था, तब फ्रेडरिक एंगेल्स ने मानवता के लिए साम्यवाद या बर्बरता के बीच दुविधा पेश की.

इस विकल्प को 1914 में शुरू हुए प्रथम विश्व युद्ध में मूर्त रूप दिया गया, जो 20 मिलियन लोगों की मृत्यु, का कारण बना, अन्य 20 मिलियन विकलांग हुए, और युद्ध की अराजकता में 50 मिलियन से अधिक मौतों के साथ स्पेन में फ्लू की महामारी फ़ैली.

यूके,फ्रांस,स्पेन,जर्मनी,मैक्सिको,चीन:हर जगह एक ही सवाल: संघर्ष को कैसे विकसित किया जाए? सरकारों को कैसे गिराएं?

2 April 2023

7 मार्च को फ़्रांस, , 8 मार्च को इटली , 11 मार्च को ब्रिटेन में आम हड़तालें और विशाल प्रदर्शनों  के कारण हर तरफ गुस्सा बढ़  और चहुँ  ओर फैल रहा है.

जर्मन इंकलाब के सबक

31 July 1975

जब 30 दिसम्‍बर 1918 और 1 जनवरी 1919 के बीच जर्मन कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की स्‍थापना की गई तो लगा जैसे सामाजिक जनवाद के प्रति क्रांतिकारी विरोध ने अभिव्‍यक्‍त पा ली हो। लेकिन जर्मन पार्टी (जो ठीक उस क्षण प्रकट हुई जब सर्वहारा गलियों में हथियारबन्‍द संघर्ष में लिप्‍त था और, अल्‍प-अवधि के लिए, वास्‍तव में कुछ औद्योगिक केन्‍द्रों में सत्‍ता पर कब्‍जा कर रहा था) ने तुरन्‍त ही अपने उदगम के बेमेल चरित्र को तथा उन कार्यभारों, जिन्‍हें  पूरा करने के लिए उसकी रचना की गई थी, की एक सार्वभौमिक और सम्‍पूर्ण समझ हासिल करने की अपनी असमर्थता को प्रकट किया....

आईसीसी की पान एशियन कांफ्रेंस

11 July 2010

फरबरी 2010 के मध्य आईसीसी ने अपने एशियन सेक्शनों की एक कांफ्रेंस आयोजित की।......कांफ्रेंस में फिलिपीन्स, टर्की तथा भारत में आईसीसी के सेक्शनों ने हिस्सा लिया। हमें आस्ट्रेलिया के एक इन्टरनेशनलिस्ट ग्रुप के प्रतिनिधि तथा भारतीय सेक्शन के कई हमदर्दों का स्वागत करके खुशी हुई। यद्यपि शामिल साथियों की संख्या कोई बहुत बडी नहीं थी, फिर भी यह एशिया में कम्युनिस्टों और अंतरराष्ट्रीयतावादियों की अब तक की संभवतया सबसे बडी सभाओं में से थी।....जैसे कुछ साथियों ने व्यक्त किया, पान एशियन कांफ्रेंस में आईसीसी की एक लधु कांग्रेस का रुप दिखाई दिया।....

आईसीसी की मदद कैसे करें

8 June 2012

आप कैसे मदद कर सकते है?

प्रथम, हम से चर्चा करके। हमें लिखें, पत्र द्वारा अथावा ईमेल से, अथवा हमारे आनलाईन डिस्कशन फोरम में भाग लें। हमारी पब्लिक मीटिंगों तथा संपर्क मीटिंगों में आयें। हमारी पोजीशनों, विश्लेषणों, लिखने के हमारे तरीके, हमारे वेबसाईट के काम करने के तरीके बाबत प्रश्न उठाएँ

ब्रिटेन में गुस्से की गर्मी : शासक वर्ग मांगता है और कुर्बानी, मजदूर वर्ग की प्रतिक्रिया है लड़ने की!

23 October 2022

"अब बहुत हो गया है"। यह रोना ब्रिटेन में पिछले कुछ हफ्तों में एक हड़ताल से दूसरी हड़ताल में बदल गया है। 1979 में "विंटर ऑफ डिसकंटेंट" का जिक्र करते हुए "द समर ऑफ डिसकंटेंट" नामक इस विशाल आंदोलन ने प्रत्येक दिन अधिक से अधिक क्षेत्रों में श्रमिकों को शामिल किया है: रेलवे, लंदन अंडरग्राउंड, ब्रिटिश टेलीकॉम, पोस्ट ऑफिस, द फेलिक्सस्टो (ब्रिटेन के दक्षिण पूर्व में एक प्रमुख बंदरगाह) में डॉकवर्कर्स, देश के विभिन्न हिस्सों में श्रमिकों और बस चालकों, सफाई कर्मचारी और जो अमेज़ॅन आदि में हैं। आज यह परिवहन कर्मचारी हैं, कल यह स्वास्थ्य कार्यकर्ता और शिक्षक भी हो सकते हैं।

पूंजीवाद युद्ध है, पूंजीवाद के खिलाफ युद्ध! (अंतरराष्ट्रीय इस्तहार)

5 March 2022

आई सी सी द्वारा प्रस्तुत यह एक अंतरराष्ट्रीय इस्तहार है जिसे कई भाषाओँ में तैयार किया जा रहा है. जो भी इस पर्चे से सहमत हैं , हम उन सभी को प्रोत्साहित करते हैं कि वे इसे ऑनलाइन या कागज पर वितरित करें (पीडीएफ संस्करण का लिंक ).

साम्राज्यवादी युद्ध के खिलाफ – वर्ग संघर्ष !

9 June 2022

 ऐतिहासिक सड़ते पूँजीवाद के पालने- युक्रेन के द्वार पर, बन्दूकों की गडगडाहट और बमों के धमाकों को गूंजने के लिए फिर से एक रात लग गई. अभूतपूर्व पैमाने पर छिड़े और क्रूरताओं की सभी सीमाओं को लांघ, इस युद्ध ने पूरे -पूरे शहरों  को पूरी  तरह तबाह  कर दिया है, जिसमें पित्रभूमि की बलि वेदी पर असंख्य मानव जीवन को झोंकते हुए लाखों महिलाओं बच्चों और बूढों को सर्दी से जमी हुए सडकों पर फेंक दिया गया. खार्किव, सुमी औरइरपिन पूरी तरह खंडहरों में तब्दील हो चुके हैं.मारीपोल का औद्योगिक बन्दरगाह पूरी तरह धराशायी हो चुका है, इस संघर्ष में  कम से कम, शायद  इससे भी अधिक लोगों की जान…

यूक्रेन- युद्ध के बारे में अंतर्राष्ट्रीय बामपंथी कम्युनिस्ट समूहों का संयुक्त बयान

9 April 2022

यूक्रेन में युद्ध, अंतर्राष्ट्रीय वर्गीय एकता के प्रतीक, बड़े और छोटे मजदूर वर्ग के हितों के लिए नहीं बल्कि सभी विभिन्न साम्राज्यवादी शक्तियों के परस्पर स्वार्थों की पूर्ती के लिए लडा जा रहा है. यह युद्ध, अमेरिका, रूस यूरोपीय राज्यों के प्रभारियों द्वारा अपने निहित सैन्य व् आर्थिक  हितों के लिए खुले या गुप्त रूप से लड़ा जाने वाला  सामरिक क्षेत्रों  पर एक युद्ध है, जिसमें शतरंज की बिसात बना यूक्रेन का शासक वर्ग किसी तरह से विश्व साम्राज्यवादी मोहरे के लिए काम नही कर रहा.

शासक वर्ग के हमलों के खिलाफ, हमें एक विशाल, एकजुट संघर्ष की जरूरत है!

10 February 2022

सभी देशों में, सभी क्षेत्रों में, मजदूर वर्ग अपने रहन-सहन और काम करने की स्थिति में असहनीय गिरावट का सामना कर रहा है। सभी सरकारें, चाहे दक्षिणपंथी हों या वामपंथी, पारंपरिक हों या लोकवादी, एक के बाद एक हमले कर रही हैं, क्योंकि विश्व आर्थिक संकट बद से बदतर होता जा रहा है।

रुसी इंकलाब का पतन

11 November 2005
1917 का रुसी इंकलाब पहले वि‍श्‍वयुद्व में उभरी सर्वहारा क्रांति‍ की वि‍श्‍व क्रांति‍कारी लहर का सर्वोच्‍च बि‍न्‍दू था। पूंजीवादी चढाव से पतनशीलता के मोड पर स्‍थि‍त यह वह घड़ी थी जब मज़दूर वरग ने रुस में पूंजी की सत्‍ता को उखाड फेंका। उसने पूंजी तथा श्रम में वि‍श्‍वव्‍यापी मुठभेडों का द्वार खोला। इस अर्थ में यह मज़दूर वरग का अब तक का सर्वाधि‍क समृद्द तजरूबा था। पर रूसी इंकलाब अलग-थलग पड गया और 1925-26 के आते आते अद्यःपतन का शि‍कार हो गया। रूस में पूंजीवाद ने राज्‍यपूंजीवाद के अति‍ भौंडे तथा विकृत रूप, स्‍तालि‍नवाद, का रूप लि‍या। आगामी सात दशकों तक स्‍तालि‍नवाद को एक तरफ मज़दूर वरग को कुचलने…

‘चीनी क्रान्ति’ पर

11 November 2005
आधि‍कारक इति‍हास मुताबि‍क 1948 में चीन में लोकप्रिय इंकलाब विजयी रहा। जनतंत्रवादी पश्‍चि‍म एवम माओवादी दोनो इस वि‍चार के बराबर पक्षधर हैं। यह स्‍तालि‍नवादी प्रति‍क्रांति‍ जनि‍त तथाकथि‍त “समाजवादी देशों” की रचना वि‍षयक वि‍शाल भ्रमजाल का हि‍स्‍सा है। यह तय है कि‍ 1919 और 1927 के बीच चीन महत्‍वपूर्ण मज़दूर आंदोलन में से गुज़रा जो उस बक्‍त दुनि‍या को हि‍लाती अंतर्राष्‍ट्रीय लहर का अभि‍न्‍न हि‍स्‍सा था। पर यह आंदोलन मज़दूर वरग के संहार द्वारा डूबो दि‍या गया। पूंजीवादी प्रचारक जि‍से “चीनी इंकलाब की वि‍जय” के रूप में पेश करते हैं वह केवल राज्‍यपूंजीवादी शासन के माओवादी रूप की स्‍थापना थी। यह…

अफगान युद्ध

8 October 2001
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फुटर मेनू

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