ब्रिटेन में गुस्से की गर्मी : शासक वर्ग मांगता है और कुर्बानी, मजदूर वर्ग की प्रतिक्रिया है लड़ने की!

"अब बहुत हो गया है"। यह रोना ब्रिटेन में पिछले कुछ हफ्तों में एक हड़ताल से दूसरी हड़ताल में बदल गया है। 1979 में "विंटर ऑफ डिसकंटेंट" का जिक्र करते हुए "द समर ऑफ डिसकंटेंट" नामक इस विशाल आंदोलन ने प्रत्येक दिन अधिक से अधिक क्षेत्रों में श्रमिकों को शामिल किया है: रेलवे, लंदन अंडरग्राउंड, ब्रिटिश टेलीकॉम, पोस्ट ऑफिस, द फेलिक्सस्टो (ब्रिटेन के दक्षिण पूर्व में एक प्रमुख बंदरगाह) में डॉकवर्कर्स, देश के विभिन्न हिस्सों में श्रमिकों और बस चालकों, सफाई कर्मचारी और जो अमेज़ॅन आदि में हैं। आज यह परिवहन कर्मचारी हैं, कल यह स्वास्थ्य कार्यकर्ता और शिक्षक भी हो सकते हैं।

साम्राज्यवादी युद्ध के खिलाफ – वर्ग संघर्ष !

 ऐतिहासिक सड़ते पूँजीवाद के पालने- युक्रेन के द्वार पर, बन्दूकों की गडगडाहट और बमों के धमाकों को गूंजने के लिए फिर से एक रात लग गई. अभूतपूर्व पैमाने पर छिड़े और क्रूरताओं की सभी सीमाओं को लांघ, इस युद्ध ने पूरे -पूरे शहरों  को पूरी  तरह तबाह  कर दिया है, जिसमें पित्रभूमि की बलि वेदी पर असंख्य मानव जीवन को झोंकते हुए लाखों महिलाओं बच्चों और बूढों को सर्दी से जमी हुए सडकों पर फेंक दिया गया. खार्किव, सुमी औरइरपिन पूरी तरह खंडहरों में तब्दील हो चुके हैं.मारीपोल का औद्योगिक बन्दरगाह पूरी तरह धराशायी हो चुका है, इस संघर्ष में  कम से कम, शायद  इससे भी अधिक लोगों की जान गई है. इस युद्ध की तबाही और भयावहता ग्रोज्नी, फालुजा,तथा अलेप्पो की भयानक तस्वीरों  की याद दिलाती है. लेकिन जहां इस तरह की तबाही और भयावहता तक पहुँचने में महीनों और कभी- कभी सालों  लग गए, वहाँ  यूक्रेन में कोई “ हत्याओं में वृद्धि “ नहीं हुई : मुश्किल से वहां एक महीने में ही  लडाकू लोगों ने अपनी सारी शक्तियों को नर संहार में झोक दिया और यूरोप के सबसे बड़े देशों में से एक को तबाह कर  दिया . 

यूक्रेन- युद्ध के बारे में अंतर्राष्ट्रीय बामपंथी कम्युनिस्ट समूहों का संयुक्त बयान

यूक्रेन में युद्ध, अंतर्राष्ट्रीय वर्गीय एकता के प्रतीक, बड़े और छोटे मजदूर वर्ग के हितों के लिए नहीं बल्कि सभी विभिन्न साम्राज्यवादी शक्तियों के परस्पर स्वार्थों की पूर्ती के लिए लडा जा रहा है. यह युद्ध, अमेरिका, रूस यूरोपीय राज्यों के प्रभारियों द्वारा अपने निहित सैन्य व् आर्थिक  हितों के लिए खुले या गुप्त रूप से लड़ा जाने वाला  सामरिक क्षेत्रों  पर एक युद्ध है, जिसमें शतरंज की बिसात बना यूक्रेन का शासक वर्ग किसी तरह से विश्व साम्राज्यवादी मोहरे के लिए काम नही कर रहा.

पूंजीवाद युद्ध है, पूंजीवाद के खिलाफ युद्ध! (अंतरराष्ट्रीय इस्तहार)

आई सी सी द्वारा प्रस्तुत यह एक अंतरराष्ट्रीय इस्तहार है जिसे कई भाषाओँ में तैयार किया जा रहा है. जो भी इस पर्चे से सहमत हैं , हम उन सभी को प्रोत्साहित करते हैं कि वे इसे ऑनलाइन या कागज पर वितरित करें (पीडीएफ संस्करण का लिंक ).

शासक वर्ग के हमलों के खिलाफ, हमें एक विशाल, एकजुट संघर्ष की जरूरत है!

सभी देशों में, सभी क्षेत्रों में, मजदूर वर्ग अपने रहन-सहन और काम करने की स्थिति में असहनीय गिरावट का सामना कर रहा है। सभी सरकारें, चाहे दक्षिणपंथी हों या वामपंथी, पारंपरिक हों या लोकवादी, एक के बाद एक हमले कर रही हैं, क्योंकि विश्व आर्थिक संकट बद से बदतर होता जा रहा है।

संयुक्त राज्य अमेरिका,ईरान, इटली, कोरिया के संघर्ष….. न महामारी और न ही आर्थिक संकट, सर्वहारा के लडाकूपन को तोड़ पाए !

संयुक्त राज्य अमेरिका में आज मजदूरों की अगुआई में हुई हड़तालों की श्रंखला ने देश के बड़े हिस्से को  हिला कर रख दिया है. महामारी के दौरान,केलाक्स,जान डीरे,पैप्सिको तथा ऐसे औद्योगिक  मालिकों द्वारा  मजदूरों पर लादी गये काम की असहनीय स्थितियां, शारीरिक और मनोंवैज्ञानिक थकान, लाभ में  अनाप शनाप वृद्धि  के खिलाफ “ स्ट्राइक टोबर” नामक  आन्दोलन ने हजारों  श्रमिकों को लामबंद किया.  इन ह्ड़तालों ने हालत ऐसे  प्रस्तुत किये कि न्यूयार्क के स्वास्थ्य क्षेत्र और निजी क्लीनिकों में हुयी हड़तालों की सही गिनती करना मुश्किल है क्योंकि संघीय सरकार उन हड़तालों की गिनती करती है जिनमें एक हजार से अधिक कर्मचारी भाग लेते हैं . ऐसा देश  जो वैश्विक पूँजीवाद की मरणशीलता का केंद्र बना हुआ है वहां मजदूर  वर्ग अपने जुझारूपन के सक्रिय रूप को प्रर्दर्शित कर रहा है, यह तथ्य इस सच्चाई का प्रतीक है कि मजदूर वर्ग पराजित नहीं हुआ है.

अफगानिस्तान: अमेरिकी साम्राज्यवाद के पतन के पीछे ; विश्व पूंजीवाद का पतन

अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियों का जल्दबाजी और हडबडी में अफगानिस्तान से पीछे हट जाना,  पूंजीवाद द्वारा समाज को कुछ न दे पाने व बढती बर्बरता की स्पष्ट अभिव्यक्ति के अलावा और कुछ नहीं.

कोविद -१९ से लड़ने में एक साल की लापरवाही: पूँजीवाद हत्यारा है !

अप्रैल के प्रारंभ से ही कोविद-१९ने,  ग्रह के चारों कोनों में पैर पसार लिए हैं.  नवम्बर २०२० से महामारी ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हालत बेहद खराब कर रखे हैं . यदि यूरोप में स्थिति  स्थिर लगती है तो, दूसरी ओर प्रदूषण के विकराल रूप धारण कर लेने के कारण अमेरिका में महामारी उलटे पांव लौट आई है, तथा लैटिन अमरीका और भारतीय उपमहाद्वीप के लोग भीषण यातना झेल रहे हैं.

कामरेड किशन को श्रद्धांजलि

समूचा विश्व जब कोविद १९ नामक दैत्य  से जूझ रहा था, तब हम आई सी सी के साथियों के ऊपर एक वज्रपात हुआ. २० मार्च २०२० को हमारे प्रिय साथी कामरेड किशन ने हमसे अंतिम विदाइ ली. कामरेड किशन के  यूं चले जाने से इंडियन सैक्शन को ही नहीं पूरी आई सी सी की भारी क्षति हुई है.  हमें  हमेशा  ही उनकी कमी खलेगी. कामरेड किशन ने आई सी सी को सुद्रढ़ बनाने में एक महत्वपूर्ण  योग्दान दिया है . वे अपने जीवन की अंतिम साँस तक उच्चतम  भावना के साथ लड़ाकू योद्धा बने रहे

कोविद १९ महामारी: पूंजीवादी बर्बरता का विकराल रूप या विश्व सर्वहारा क्रांति

म यहाँ कोरोंना वायरस के संकट पर आई. सी. सी. के वक्तव्य को एक डिजिटल लीफलैट के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं, क्योंकि लौकडाउन की स्थिति से यह स्पष्ट है कि इसे बड़ी संख्या में छाप कर वितिरत नहीं किया जा सकता.हम अपने सभी पाठकों से कह रहे हैं कि वे इस लीफलैट को अधिक से अधिक संख्या में वितरित करने के लिए उपलब्ध सभी साधनों, सोशल मीदिया आदि इंटरनेट के सभी माध्यमों आदि का प्रयोग करें. हम उनसे यह भी उम्मीद करते हैं कि वे इस पर्चे पर होने वाली बहसों, प्रतिक्रियाओं तथा प्रस्तुत आलेख पर अपने विचारों से भी अवगत कराएँ. सर्वहारा क्रांति के लिए संघर्ष में जुटे साथियों के यह इस लिए लिये भी आवश्यक है कि वे एकजुटता अभिव्यक्त करे और एक दूसरे के साथ संपर्क स्थापित करें. हम कुछ समय के लिए भौतिक तौर पर अलग थलग हो सकते हैं, लेकिन हम तब भी राजनैतिक रूप में एक साथ होंगे.

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